"क्या बात है वसु ,,,,,, बड़ी उदास लग रही हो ,,,,, समथिंग रोंग विद यू ? मैं कई दिनों से "क्या बात है वसु ,,,,,, बड़ी उदास लग रही हो ,,,,, समथिंग रोंग विद यू ? मैं कई दि...
अब तुम्हारे स्वागत को धरती नहीं आतुर रहती न पंछी गीत गाते हैं नदियां भी अब कल-कल अब तुम्हारे स्वागत को धरती नहीं आतुर रहती न पंछी गीत गाते हैं नदियां भ...
यह दुनिया कितनी बदल गयी , हर जगह विश्वास की धज्जियां उड़ गईं यह दुनिया बाजार बन गयी यह दुनिया कितनी बदल गयी , हर जगह विश्वास की धज्जियां उड़ गईं यह दुनिया...
खुद को झांक जरा अंदर आग काफी है जिंदगी में बस अब एक उड़ान बाकी है। खुद को झांक जरा अंदर आग काफी है जिंदगी में बस अब एक उड़ान बाकी है।
मुकेश बिस्सा श्री कन्हैया कुंज,4 नवखुनिया, गांधी कॉलोनी,जैसलमेर मुकेश बिस्सा श्री कन्हैया कुंज,4 नवखुनिया, गांधी कॉलोनी,जैसलमेर
पत्थर की इस दुनिया में, पत्थर की इस दुनिया में,